पलपल इंडिया प्रतिनिधि। ब्रिटेन की एक्सेटर यूनिवर्सिटी ने यूरोप और साउथ एशिया के बच्चों पर रिसर्च के बाद अब कहा है कि 34 % बच्चे बाहर नहीं निकलते। जबकि सिर्फ हर 5 में से 1 बच्चा बाहर खेल पाता है। इतना ही नहीं रिसर्च में 50% पुरुष और 49% महिलाओं से जब उन बच्चों को लेकर सवाल किए गए तो पता चला कि बाहर खेलने वाले बच्चों के सोशल स्किल अंदर बंद रहने वालों से 60% ज़्यादा बेहतर थे। खेलकूद कम होगा तो बीमारियों का हमला बढेगा। अपने देश में तो बच्चों को लेकर जो रिपोर्ट आ रही हैं वो फिक्र बढ़ाने वाली हैं। आपको पता है देश में 45% बच्चे ओवरवेट हैं, क्योंकि 28% फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते और 67% एक घंटे से भी कम बाहर खेलते हैं।
ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों पर असर
यही नहीं दुनिया के मुकाबले भारत के बच्चों की लंबाई घट रही है। मोटापे के मामले में देश के बच्चे दुनिया में दूसरे नंबर पर हैं। 30% से ज़्यादा की पास की नज़र कमज़ोर है। जिस उम्र में शरीर सुपरफिट होना चाहिए। उस उम्र में उन्हें डायबिटीज, हाइपरटेंशन, रूमेटाइड आर्थराइटिस, थायराइड जैसी घातक बीमारी लग रही हैं। इसलिए आज बच्चों की ना सिर्फ ग्रोथ बढ़ाने पर फोकस करना है बल्कि इन बीमारियों से भी बचाना है। ताकि उम्र के साथ बीमारियों का बोझ ना बढ़े। स्वामी रामदेव से जानते हैं बच्चों को स्वस्थ कैसे बनाएं?
बच्चों की ग्रोथ पर असर
कई कारण हैं जो बच्चों की ग्रोथ पर असर डालते हैं। इसमें सबसे बड़ी चीज है जेनेटिक कारण जिससे बच्चे की ग्रोथ पर असर होता है। इसके बाद न्यूट्रिशन की कमी, वर्कआउट की कमी, ग्रोथ हॉर्मोन, खराब पॉश्चर और कमजोरी इम्यूनिटी भी ग्रोथ को कम करती है। लंबाई न बढ़ने का कारण कम फिजिकल एक्टिविटी, जंकफूड की आदत, न्यूट्रिशंस की कमी और गैजेट्स का ज्यादा इस्तेमाल भी है।
ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों में बीमारी
अगर बच्चे टीवी और फोन से चिपके रहते हैं तो उनमें कई बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ता है। अटेंशन-डेफ़िसिट,हाइपरएक्टिविटी, खराब कंसंट्रेशन, कमजोर नजर, ग्रोथ पर असर, ऑटिज्म जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इससे ब्रेन पर असर होता है, शरीर कमज़ोर होता है और चिड़चिड़ापन, गुस्सा, डिप्रेशन और तनाव बढ़ता है। शरीर में मोटापा बढ़ता है जिससे हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। ऐसे बच्चों की लंबाई पर भी असर होता है।