“आतंकियों को पनाह देने वाले भुगतेंगे अंजाम, भारत प्रहार से नहीं डरेगा”- राजनाथ सिंह

By: PalPal India News
June 26, 2025

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हाल ही में चीन के क़िंगदाओ शहर पहुंचे, जहां उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की महत्वपूर्ण बैठक में हिस्सा लिया। यह दौरा कई मायनों में ऐतिहासिक रहा, क्योंकि मई 2020 में भारत-चीन लद्दाख सीमा विवाद के बाद यह पहला मौका था जब भारत के किसी रक्षा मंत्री ने चीन की यात्रा की। बैठक के दौरान उन्होंने आतंकवाद, सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे गंभीर मुद्दों पर भारत की सख्त और साफ़ नीति को पूरी दुनिया के सामने रखा।


🛑 “सबसे बड़ा खतरा: आतंकवाद और कट्टरपंथ”

राजनाथ सिंह ने आतंकवाद को शांति और विकास के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जब तक आतंक और कट्टरपंथ जैसे खतरे मौजूद हैं, तब तक दुनिया में स्थायी शांति और तरक्की मुमकिन नहीं।

उन्होंने सभी सदस्य देशों से अपील की कि वे मिलकर निर्णायक कार्रवाई करें और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रुख अपनाएं।


🧨 बिना नाम लिए सख्त संदेश

हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन स्पष्ट रूप से उन देशों को आड़े हाथों लिया जो अपने राजनीतिक हितों के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं या आतंकियों को सुरक्षित पनाह देते हैं।

उनका कड़ा संदेश था:
“जो देश आतंकियों को पालते हैं, उन्हें उसका अंजाम भुगतना होगा। आतंकवाद पर दोहरा रवैया अब नहीं चलेगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि SCO जैसे मंचों को ऐसे दोहरे मानकों वाले देशों की खुलकर आलोचना करनी चाहिए।


🔥 भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति

रक्षा मंत्री ने दो टूक कहा कि भारत आतंकवाद को लेकर ‘शून्य सहिष्णुता’ यानी Zero Tolerance की नीति पर चलता है। उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने न सिर्फ़ नीति बनाई है, बल्कि कार्रवाई करके दिखाया है कि आतंकवाद के अड्डे अब सुरक्षित नहीं हैं।

“भारत आतंक के खिलाफ प्रहार करने से कभी नहीं हिचकता, और आगे भी नहीं हिचकेगा,” उन्होंने दृढ़ता से कहा।


🛰️ नए युग के खतरे: ड्रोन, साइबर और हाइब्रिड वार

राजनाथ सिंह ने पारंपरिक आतंकवाद के साथ-साथ आधुनिक तकनीक से जुड़े खतरों की तरफ भी ध्यान दिलाया। उन्होंने बताया कि आतंकी अब ड्रोन का इस्तेमाल कर हथियार और नशीली दवाओं की तस्करी कर रहे हैं। साथ ही, साइबर अटैक और हाइब्रिड वॉरफेयर जैसी नई चुनौतियां भी सामने आ रही हैं।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये सभी खतरे सीमा-निर्बंध नहीं हैं, और इनसे निपटने के लिए विश्वास, पारदर्शिता और सामूहिक सहयोग की ज़रूरत है।

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