वॉशिंगटन। अमेरिका के विदेश विभाग में बड़े पैमाने पर छंटनी का सिलसिला शुरू हो गया है। विभाग ने लगभग 3000 कर्मचारियों को हटाने की योजना बनाई है, जिसमें पहले चरण में 1300 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी हैं। इनमें 1107 सिविल सर्विस और 246 फॉरेन सर्विस के कर्मचारी शामिल हैं। छंटनी के इस दौर में कुछ कर्मचारियों को स्वेच्छा से इस्तीफा देने के लिए कहा गया है, जबकि अन्य को टर्मिनेशन लेटर ईमेल के माध्यम से भेजे गए हैं। यह कार्रवाई विदेश विभाग के पुनर्गठन की प्रक्रिया का हिस्सा बताई जा रही है, जिसका उद्देश्य विभाग को और अधिक ऊर्जावान, आधुनिक और मल्टी-टैलेंटेड प्रोफेशनल्स से लैस करना है।
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने 22 अप्रैल 2025 को विभाग के पुनर्गठन की घोषणा की थी। इस पहल का मकसद कार्यप्रणाली को ज्यादा प्रभावी बनाना और डिजिटल व आधुनिक तकनीकों के अनुरूप बनाना है। छंटनी के तहत निकाले गए कर्मचारियों में वे भी शामिल हैं जो स्वयं नौकरी छोड़ रहे हैं और वे भी जिन्हें जबरन हटाया गया है। फॉरेन सर्विस कर्मचारियों को 120 दिन और सिविल सर्विस कर्मचारियों को 60 दिन का नोटिस पीरियड दिया जा रहा है।
इस छंटनी के चलते विभाग के बाकी कर्मचारियों में भी असुरक्षा और तनाव का माहौल बन गया है। अमेरिकन फॉरेन सर्विस एसोसिएशन (AFSA) के अध्यक्ष थॉमस ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह निर्णय ऐसे समय पर लिया गया है जब इसकी सबसे कम जरूरत थी। उन्होंने कहा कि इस तरह की छंटनी से कर्मचारियों का मनोबल टूटता है, विदेश विभाग की विश्वसनीयता को नुकसान होता है और भविष्य की भर्ती प्रक्रियाओं पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।
आलोचकों का यह भी कहना है कि ट्रंप प्रशासन सरकारी संस्थाओं को कमजोर कर रहा है—कंपनियों को बंद करना, जबरन इस्तीफे लेना और कर्मचारियों पर दबाव बनाना कार्यबल क्षमता को नुकसान पहुंचा रहा है, जिसका असर अमेरिका की सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता पर पड़ सकता है।