ढाका। बांग्लादेश की राजधानी ढाका से एक बेहद दर्दनाक और चिंता जनक घटना सामने आई है। शहर के खिलखेत इलाके में स्थित श्री श्री दुर्गा मंदिर को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया गया। इस मंदिर में स्थापित देवी काली और भगवान शिव की मूर्तियों को भी तोड़ दिया गया, जिससे स्थानीय हिंदू समुदाय में आक्रोश और भय का माहौल है।
यह केवल किसी इमारत को ढहाने का मामला नहीं है, बल्कि इसे हिंदू समुदाय की आस्था, संस्कृति और अधिकारों पर सीधा हमला माना जा रहा है। स्थानीय लोगों और धर्मगुरुओं का कहना है कि यह कृत्य सुनियोजित और साम्प्रदायिक मानसिकता से प्रेरित है। इस पूरी कार्रवाई के पीछे नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। आरोप हैं कि मंदिर को गिराने का निर्णय ‘अवैध निर्माण’ के बहाने लिया गया, जबकि असल मंशा अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को निशाना बनाना थी।
आलोचकों का कहना है कि सरकार ने मंदिर को सुरक्षा देने की बजाय कट्टरपंथी ताकतों को परोक्ष रूप से प्रोत्साहन दिया है। भारत सरकार ने इस घटना पर गंभीर चिंता जताई है और कड़ी निंदा की है। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने दिल्ली में कहा:
“खिलखेत के दुर्गा मंदिर को गिराने की मांग लंबे समय से कट्टरपंथी ताकतें कर रही थीं। अंतरिम सरकार ने उन्हें रोकने की बजाय मंदिर को अवैध बताकर गिराने की अनुमति दे दी। मूर्तियों को स्थानांतरित किए बिना ही तोड़ दिया गया। यह न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि गंभीर चिंता का विषय भी है कि इस प्रकार की घटनाएं बार-बार हो रही हैं। हम बांग्लादेश सरकार से अपील करते हैं कि वह हिंदू समुदाय, उनकी संपत्तियों और धार्मिक स्थलों की संविधानिक सुरक्षा सुनिश्चित करे।”
लगातार हो रहे हमले- पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों और पूजा स्थलों पर हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे वहां रह रहे हिंदू समुदाय की सुरक्षा और भविष्य को लेकर चिंता गहराई है।
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