लिवर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए अच्छी नींद लेना और जंक फूड से दूरी बनाना बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों के मुताबिक, जंक फूड में मौजूद खराब वसा, अधिक चीनी और प्रोसेस्ड तत्व हमारे शरीर के लिए बेहद हानिकारक हैं। डॉ. के अनुसार, जंक फूड को डस्टबिन में फेंकने लायक समझना चाहिए। अगर आप पेट और आंतों को कचरे का डिब्बा नहीं समझते, तो इससे बचना ही बेहतर है।
जंक फूड के लगातार सेवन से मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल और टाइप-2 डायबिटीज जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है, जो आगे चलकर नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) का रूप ले सकती हैं। यह स्थिति गंभीर होकर सिरोसिस या लिवर कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकती है।
डॉक्टरों का कहना है कि समय पर सोना और देर रात खाने से बचना भी बेहद जरूरी है। देर से खाने और जागने की आदतें पेट में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को प्रभावित कर सकती हैं, जो पाचन और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। रिसर्च से यह भी साबित हुआ है कि नींद की कमी से फैटी लिवर डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।
रात को देर से खाने से शरीर वसा और कार्बोहाइड्रेट को सही ढंग से नहीं पचा पाता, जिससे ये तत्व लिवर में जमा होने लगते हैं। इसलिए नियमित और समय पर नींद लेना और रात को जल्दी भोजन करना लिवर की सेहत के लिए फायदेमंद है।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि पैसा, ताकत और ऊंचे पदों के पीछे भागते हुए सेहत को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। एक स्वस्थ शरीर और अच्छी नींद ही असली खुशी का आधार है।
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज, जिसे अब मेटाबोलिक डिस्फंक्शन-एसोसिएटेड स्टीटोटिक लिवर डिजीज (MAFLD) कहा जाता है, उन लोगों को भी प्रभावित कर रही है जो शराब का सेवन नहीं करते। यह बीमारी मुख्य रूप से डायबिटीज, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल से जूझ रहे लोगों में देखी जा रही है।
भारत में फैटी लिवर डिजीज एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, जहां हर 10 में से 3 लोग इससे प्रभावित हैं। इस चुनौती को देखते हुए, पिछले साल सितंबर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने MAFLD के लिए नए दिशा-निर्देश और प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी किए, ताकि इस बीमारी का समय पर पता लगाया जा सके और उपचार को अधिक प्रभावी बनाया जा सके।