नाक के स्प्रे से फेफड़ों और श्वसन नली को लक्षित करने वाली नई जीन थेरेपी विकसित

By: PalPal India News
May 24, 2025

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक नई जीन थेरेपी विकसित की है, जिसे नाक के माध्यम से स्प्रे करके फेफड़ों और श्वसन नली तक पहुंचाया जा सकता है। जीन थेरेपी तभी प्रभावी होती है जब इलाज से जुड़े आवश्यक अणु शरीर के सही हिस्सों तक ठीक से पहुंचें। इसके लिए अक्सर एडेनो-एसोसिएटेड वायरस (एएवी) का इस्तेमाल किया जाता है, जो जीन थेरेपी में अणुओं को लक्ष्य स्थान तक पहुंचाने का काम करता है।

मैस जनरल ब्रिघम के शोधकर्ताओं ने इस तकनीक को बेहतर बनाने के लिए एएवी का नया संस्करण तैयार किया है, जिसका नाम एएवी.सीपीपी.16 रखा गया है। यह नाक में स्प्रे के रूप में दिया जा सकता है। जानवरों पर हुई प्रारंभिक जांच में यह नया संस्करण एएवी6 और एएवी9 की तुलना में अधिक प्रभावशाली साबित हुआ। इसने फेफड़ों और श्वसन नली को बेहतर ढंग से लक्षित किया है, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियों के इलाज में मदद मिल सकती है।

ब्रिघम एंड वीमेन हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी विभाग के फेंगफेंग बेई ने बताया कि एएवी.सीपीपी.16 को शुरुआत में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तक दवा पहुंचाने के लिए बनाया गया था, लेकिन यह फेफड़ों की कोशिकाओं में भी प्रभावी रूप से काम करता है। इसी वजह से इसे नाक के जरिए फेफड़ों तक दवा पहुंचाने के लिए भी आजमाया गया।

इस शोध में एएवी.सीपीपी.16 ने न केवल कोशिका स्तर पर बल्कि चूहों और अन्य जानवरों पर किए गए प्रयोगों में भी बेहतर परिणाम दिखाए। शोधकर्ताओं ने इस तकनीक का उपयोग वायरल संक्रमणों के इलाज में भी किया। कोविड-19 संक्रमित चूहों पर हुए परीक्षणों में यह जीन थेरेपी SARS-CoV-2 वायरस के प्रसार को रोकने में सफल रही। वैज्ञानिकों का कहना है कि अधिक अध्ययन की आवश्यकता है, लेकिन अब तक के परिणाम यह संकेत देते हैं कि एएवी.सीपीपी.16 एक प्रभावशाली तरीका हो सकता है जिससे श्वसन नली और फेफड़ों तक सीधे उपचार पहुंचाया जा सके।

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