नई दिल्ली. बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) प्रक्रिया की सफलता के बाद अब चुनाव आयोग ने इसे पूरे देश में लागू करने का फैसला लिया है। इस प्रक्रिया के तहत देशभर में मतदाता सूचियों की व्यापक समीक्षा की जाएगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल पात्र भारतीय नागरिक ही मतदाता सूची में शामिल रहें और अवैध प्रवासियों को सूची से बाहर किया जाए।
क्या है SIR प्रक्रिया?
SIR एक विस्तृत जांच प्रक्रिया है, जिसके तहत निर्वाचन आयोग वोटर लिस्ट की गहराई से छानबीन करता है। इसका उद्देश्य अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें मतदाता सूची से हटाना है। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में अहम माना जा रहा है, जहां बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों से अवैध प्रवास की आशंका जताई जाती रही है।
विवाद और अदालती चुनौती
हालांकि, इस निर्णय को लेकर राजनीतिक विवाद भी गहराने लगे हैं। कई विपक्षी दल और नागरिक संगठनों ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इससे कई वास्तविक नागरिकों के मताधिकार पर संकट आ सकता है। इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है। अब 28 जुलाई को इस पर सुनवाई होगी, जिसके बाद आयोग अंतिम निर्णय लेगा।
पुरानी मतदाता सूचियों का होगा आधार
SIR प्रक्रिया के तहत प्रत्येक राज्य में पुराने रिकॉर्ड को आधार बनाया जाएगा। जैसे कि बिहार में 2003 की सूची को संदर्भ माना जा रहा है, वहीं दिल्ली में 2008 और उत्तराखंड में 2006 की सूचियों को उपलब्ध कराया गया है। अन्य राज्यों में भी 2002 से 2004 के बीच की मतदाता सूचियों को आधार बनाकर जांच की जाएगी।
आगामी चुनावों से पहले अहम कदम
इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि 2026 में असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और पुडुचेरी जैसे राज्यों में भी चुनाव निर्धारित हैं। ऐसे में SIR प्रक्रिया को इन चुनावों से पहले निष्पक्ष और स्वच्छ मतदाता सूची तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।