पलपल इंडिया प्रतिनिधि। भारत की ओर से चेनाब नदी में पानी के बहाव को कम किए जाने के बाद पाकिस्तान में बौखला गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ताजिकिस्तान के दुशांबे में हुई ग्लेशियर संरक्षण के सम्मेलन में गुहार लगाई है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने जो ‘वॉटर स्ट्राइक’ की रणनीति अपनाई है, उससे पाकिस्तान में पानी के लिए हाहाकार मच गया है। खरीफ फसलों के लिए नदी नहरों से पानी न मिलने से किसानों में चिंता की लहर दौड़ गई है। सिंधु-झेलम से लेकर चिनाब नदी में पानी का प्रवाह एकदम कम है। भयंकर गर्मी और पानी न होने से खेतों में भी चौड़ी दरारें हो गई हैं। भारत की तरफ पानी की सप्लाई में कटौती से पाकिस्तान में जो हालात पैदा हुए हैं, उससे साफ है कि अब पानी की एक-एक बूंद के लिए शहबाज शरीफ और असीम मुनीर को दुनिया के सामने झुकना पड़ सकता है।
पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि भारत ने चेनाब नदी में पानी का बहाव बड़ी मात्रा में घटा दिया है। पाकिस्तान की जल और विद्युत विकास प्राधिकरण (WAPDA) ने जानकारी दी है कि पिछले 2 दिनों में चिनाब नदी में पानी के बहाव में तेज गिरावट दर्ज की गई है। WAPDA के आंकड़ों के मुताबिक, 29 मई को माराला हेडवर्क्स पर पानी का बहाव 98,200 क्यूसेक था, जो एक जून तक घटकर मात्र 7,200 क्यूसेक रह गया। हालांकि भारत की ओर से इस कटौती पर आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन पाकिस्तान इसे भारत की एक रणनीतिक चेतावनी मान रहा है।
इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी (IRSA) ने चिनाब नदी में जल प्रवाह में भारी उतार-चढ़ाव को गंभीर चिंता का विषय बताया है। IRSA के प्रवक्ता खालिद इदरीस राणा ने कहा कि भारत द्वारा चिनाब के जल प्रवाह में कमी से न केवल खरीफ फसलों, विशेष रूप से चावल पर खतरा मंडरा रहा है। साथ ही मंगला डैम के जल भंडारण पर भी असर पड़ सकता है।
22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद भारत ने 23 अप्रैल को ऐलान किया था कि वह अब सिंधु जल संधि को व्यवहार में नहीं लाएगा। केंद्र सरकार का स्पष्ट कहना है, ‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।’ यानी जब पाकिस्तान की सरज़मीं से आतंकवादी भारत में खून बहा रहे हों, तब पाकिस्तान को पानी देना राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है।