नई दिल्ली. भारत में भगवान शिव के कई प्राचीन और पवित्र मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में एक मंदिर ऐसा है जो न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भौगोलिक दृष्टि से भी अद्वितीय है। हम बात कर रहे हैं तुंगनाथ मंदिर की, जो दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर है।
कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों को भगवान शिव से अपने पापों के लिए क्षमा मांगनी थी। भगवान शिव उनसे रुष्ट थे और उन्होंने पांडवों से बचने के लिए लुका-छिपी का खेल खेला। इस दौरान शिवजी के शरीर के विभिन्न अंग पांच अलग-अलग स्थानों पर प्रकट हुए, जहां पंच केदार के नाम से प्रसिद्ध पांच मंदिर स्थापित हुए — केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर। इनमें तुंगनाथ तीसरे स्थान पर आता है और यह पंच केदारों में सबसे ऊंचाई पर स्थित है।
तुंगनाथ की खासियत- तुंगनाथ मंदिर समुद्र तल से 3,680 मीटर (लगभग 12,073 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है, जो इसे न केवल भारत का, बल्कि पूरी दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर बनाता है। इस मंदिर का इतिहास पांडवों के समय से जुड़ा है। माना जाता है कि 8वीं सदी में संत आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर की खोज की थी, जबकि कुछ इतिहासकार इसे कत्यूरी राजाओं द्वारा बनवाया गया मानते हैं।
मंदिर खुलने का समय- हर साल तुंगनाथ मंदिर के कपाट वैशाख पंचमी (अप्रैल या मई) के आसपास खोले जाते हैं। इसका संचालन बद्री-केदार मंदिर समिति द्वारा किया जाता है। यह चार धाम यात्रा का हिस्सा नहीं है, लेकिन पंच केदार यात्रा में इसका विशेष स्थान है।
तुंगनाथ कैसे पहुंचें?
तुंगनाथ पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले उत्तराखंड के चोपता आना होगा। चोपता से तुंगनाथ मंदिर तक करीब 3.5 किलोमीटर का ट्रेक करना होता है। यह ट्रेक मध्यम श्रेणी का है — न बहुत कठिन, न बहुत आसान। रास्ते में बर्फ से ढकी चोटियां, घास के मैदान और अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य यात्रियों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
चोपता कैसे जाएं?
चोपता पहुंचने के लिए आप सबसे पहले हरिद्वार या ऋषिकेश आएं। वहां से बस या टैक्सी के जरिए उखीमठ होते हुए चोपता जा सकते हैं। उखीमठ से लोकल टैक्सी की सुविधा भी उपलब्ध है। चोपता को ‘भारत का मिनी स्विट्ज़रलैंड’ भी कहा जाता है, और यह जगह अपने आप में एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन है।
चंद्रशिला शिखर
अगर आप तुंगनाथ मंदिर तक पहुंचने के बाद और भी आगे बढ़ना चाहते हैं, तो मंदिर से लगभग 1.5 किलोमीटर आगे ‘चंद्रशिला शिखर’ तक जा सकते हैं। मान्यता है कि यहां भगवान श्रीराम ने तपस्या की थी। इस शिखर से केदारनाथ, नंदा देवी, त्रिशूल और चौखंबा की ऊंची चोटियों का नज़ारा बेहद दिव्य और मनमोहक होता है।