BJP सांसद कंगना: फिल्म अभिनेत्री और BJP सांसद कंगना रनौत की मानहानि मामले को लेकर मुश्किलें बढ़ गई है। बॉलीवुड अभिनेत्री और BJP सांसद कंगना रनौत की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इन्कार किया है। बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने सुप्रीम कोर्ट में दायर मानहानि को रद्द करने वाली याचिका वापस ले ली है। कोर्ट ने कहा कि यह ट्वीट सिर्फ री-ट्वीट नहीं था, बल्कि उसमें मसाला जोड़ा गया था और यह एक ट्रायल का विषय है। दरअसल, मामला 2021 के किसान आंदोलन के दौरान एक महिला पर अपमानजनक टिप्पणी से जुड़ा था, जिसमें उन्होंने एक महिला को शाहीन बाग की बिलकिस बानो बताया था।
आपको बता दे किसान आंदोलन से जुड़े मामले पर BJP सांसद कंगना ने अपनी याचिका वापस ले ली है। कोर्ट ने कहा कि हम आपकी ट्वीट पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे इससे ट्रायल पर असर पडेगा। ये सिर्फ एक साधारण री ट्वीट नहीं था इसमे आपकी टिप्पणी भी शामिल थी। BJP सांसद कंगना द्वारा 2020-21 में किसान आंदोलन के दौरान की गई मानहानि टिप्पणी के चलते पंजाब में दर्ज केस को रद्द करने की मांग की थी।
BJP सांसद कंगना के खिलाफ मानहानि की यह शिकायत 2021 में पंजाब के बठिंडा कोर्ट में 73 साल की महिंदर कौर ने दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया कि BJP सांसद कंगना ने रिट्वीट में उनके खिलाफ मानहानि करने वाले आरोप लगाए है। कंगना ने अपने रिट्वीट में महिंदर कौर की फोटो वाले ट्वीट को रिट्वीट कर कहा था कि ये वही बिलिकिस बानो दादी है,जो शाहीन बाग प्रदर्शन का हिस्सा थी।
इस मामले में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने BJP सांसद कंगना की याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए, इसे वापस लेने की सलाह दी, जिसे याचिकाकर्ता ने स्वीकार कर लिया। इस प्रकार याचिका वापस ली गई मानी गई और खारिज कर दी गई। जैसे ही सुनवाई शुरू हुई, न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने ट्वीट में की गई टिप्पणियों को लेकर आपत्ति जताई और कहा, ‘यह सिर्फ एक साधारण रीट्वीट नहीं था। आपने अपनी टिप्पणियां जोड़ी थीं। आपने इसमें मसाला लगाया है।’
जब कंगना की ओर से वकील ने तर्क दिया कि उन्होंने स्पष्टीकरण दिया है, अदालत ने स्पष्ट किया कि यह स्पष्टीकरण निचली अदालत में दिया जा सकता है। वकील ने यह भी कहा कि कंगना पंजाब में यात्रा नहीं कर सकतीं, जिस पर पीठ ने सुझाव दिया कि वह व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए छूट मांग सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेत्री से नेता बनी BJP सांसद कंगना की उस याचिका पर सुनवाई शुरू की, जिसमें 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान एक महिला पर अपमानजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने अपनी टिप्पणी में उस महिला को गलत तरीके से शाहीन बाग की बिलकिस बानो बताया था। यह शिकायत बठिंडा जिले की 73 वर्षीय महिंदर कौर ने 2021 में दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि कंगना ने एक रीट्वीट में उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं और उन्होंने यह भी कहा कि वह वही दादी यानी बिलकिस बानो हैं, जो शाहीन बाग में हुए विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थीं।
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने जांच के बाद पाया कि कंगना द्वारा रीट्वीट किया गया था और उनकी टिप्पणी IPC की धारा 499 (मानहानि) के तहत अपराध बनता है। कंगना ने इसके खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसे खारिज कर दिया गया। कंगना ने तर्क दिया कि यह ट्वीट सद्भावना के तहत किया गया था और उनके पास मेन्स रीया (दोषपूर्ण मानसिकता) नहीं थी, जिससे वे धारा 499 के 9वें और 10वें अपवाद के अंतर्गत आती हैं।
हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज की कि मजिस्ट्रेट का अपवादों पर विचार न करना अपने आप में आदेश को अवैध नहीं बनाता। साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ इसलिए कि शिकायत केवल कंगना के खिलाफ दर्ज की गई और मूल ट्वीट करने वाले व्यक्ति को नामजद नहीं किया गया, यह शिकायत को दुर्भावनापूर्ण ठहराने का आधार नहीं बन सकता।